जय देवी हरितालिके। सखी पार्वती अंबिके। आरती ओवाळीतें। ज्ञानदीपकळिके।। धृ.।। हरअर्धांगी वससी। जासी यज्ञा माहेरासी। तेथें अपमान पावसी। यज्ञकुंडींत गुप्त होसी। जय. ।।1।। रिघसी हिमाद्रीच्या…
जय देवी हरितालिके। सखी पार्वती अंबिके। आरती ओवाळीतें। ज्ञानदीपकळिके।। धृ.।। हरअर्धांगी वससी। जासी यज्ञा माहेरासी। तेथें अपमान पावसी। यज्ञकुंडींत गुप्त होसी। जय. ।।1।। रिघसी हिमाद्रीच्या…