Hamne Jag Ki Ajab Tasvir Dekhi : “हमने जग की अजब तस्वीर देखी” ये कवी प्रदीप की अप्रतिम रचनाओं में से एक है. इस रचना में कवी प्रदीप बताते है, की किस तरह से आज मनुष्य जाती परेशान है. कोई खुश नहीं रह पा रहा. एक इंसान हस रहा है, खुश है तो दूसरे १० लोग दुखी है.
हमने जग की अजब तस्वीर देखी – Hamne Jag Ki Ajab Tasvir Dekhi
हमने जग की अजब तस्वीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं,
ये प्रभु की अद्भुत जागीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं।।
हमे हँसते मुखड़े चार मिले,
दुखियारे चेहरे हज़ार मिले,
यहाँ सुख से सौ गुनी पीड़ देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं,
हमने जग की अजब तसवीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं।।
दो एक सुखी यहाँ लाखों में
आंसू है करोड़ों आँखों में
हमने गिन गिन हर तकदीर देखी
एक हँसता है दस रोते हैं
हमने जग की अजब तसवीर देखी
एक हँसता है दस रोते हैं।।
कुछ बोल प्रभु ये क्या माया,
तेरा खेल समझ में ना आया,
हमने देखे महल रे कुटीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं,
हमने जग की अजब तसवीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं।।
हमने जग की अजब तस्वीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं,
ये प्रभु की अद्भुत जागीर देखी,
एक हँसता है दस रोते हैं।।
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