गोन्दवलेकर महाराजांची आरती
जय आरती श्री गुरू राया सद्गुरू राया
नामितो तव पदी संहरी माया || धृ ||
मी जीव हा भ्रम द्वैत पसारा, द्वैत पसारा
वारुनी दिधला अद्वैत सारा ||जय जय…
परम परात्पर चिन्मय खाणी, चिन्मय खाणी
शत मुख स्मरीता वंदीली वाणी ||जय जय…
जगतजीवन प्रभू मंगलधामा मंगलधामा
नाम रुपातीत तू अभिरामा ||जय जय…
-गोन्दवलेकर महाराजांची आरती
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