Dekh Tere Sansar Ki Halat : “देख तेरे संसार की हालत” ये कवी प्रदीप की अप्रतिम रचनाओं में से एक है. बड़े दुखी मन से कवी भगवान को बोल रहे है की उन्होंने उत्पन्न किया हुआ इंसान कितना बदल गया है. सच्चाई का मार्ग छोड़ कर बुराई की राह पर चल पड़ा है.
देख तेरे संसार की हालत – Dekh Tere Sansar Ki Halat
देख तेरे संसार की हालत,
क्या हो गई भगवान,
कितना बदल गया इंसान,
कितना बदल गया इंसान,
सूरज न बदला चांद न बदला,
ना बदला रे आसमान,
कितना बदल गया इंसान,
कितना बदल गया इंसान।।
आया समय बड़ा बेढंगा,
आज आदमी बना लफंगा,
कही पे झगड़ा कहीं पे दंगा,
नाच रहा नर हो कर नंगा,
छल और कपट के हाथों अपना,
बेच रहा ईमान,
कितना बदल गया इंसान।।
राम के भक्त रहीम के बंदे,
रचते आज फरेब के फंदे,
कितने ये मक्कार ये अंधे,
देख लिये इनके भी धंधे,
इन्हीं की काली करतूतो से,
बना ये मुल्क मशान,
कितना बदल गया इंसान।।
जो हम आपस में न झगड़ते,
बने हुए क्यों खेल बिगड़ते,
काहे लाखों घर ये उजड़ते,
क्यों ये बच्चे माँ से बिछड़ते,
फूट फूट कर क्यों रोते,
प्यारे बापू के प्राण,
कितना बदल गया इंसान।।
देख तेरे संसार की हालत,
क्या हो गई भगवान,
कितना बदल गया इंसान,
कितना बदल गया इंसान,
सूरज न बदला चांद न बदला,
ना बदला रे आसमान,
कितना बदल गया इंसान,
कितना बदल गया इंसान।।