आज हमारे हिसाब से तो भटकी हुई नौजवान पिढी बहुत आगे बढ़ रही है। दस हजार रूपये तक बाजार में कोई भी स्मार्टफोन मिल जाता है। स्मार्टफोन खरीदो और किसी भी नेता को जन्मदिन के बधाई के बैनर बनाओ। फिर नेता की नजर में आने के लिए ऐसी चीज़े लगातार करते रहो। थोड़े दिन बाद दस बीस लड़के जमा करके भाईगिरी शुरू कर दो।
ऐसे लड़को से होता तो कुछ नहीं है। सिर्फ बेरोजगारी बढ़ती है। बेरोजगार होने की वजह से दिन भर ये बस इधर उधर की बाते करते रहते है। घर की जिम्मेदारी नहीं समझ पाते। माँ बाप पर बोझ बन कर रह जाते है।
अपना काम खुद करो
मुझे तो लगता है, की माँ बाप बच्चो को कुछ ज्यादा ही लाड प्यार करते है। जिसकी वजह से बच्चो को जो चीज़े मिल रही है, वो उन्हें हक्क लगने लगता है। माँ बाप ने पैदा किया है, तो बाइक, स्मार्टफोन फिर उसका पेट्रोल, रिचार्ज सब उन्ही को देना चाहिए, हम तो बस ऐश करेंगे।
वक्त रहते हर एक माँ बाप ने अपने लाड़लो को ये ज्ञात कराना चाहिए की आगे जाकर तुम्हे अपने पैरो पे खड़ा होना है। और अगर कुछ चाहिए तो खुद कमा के खाना पड़ेगा। जब तुम्हारा परिवार बनेगा, तब उनके लिए दाना पानी तुम्हे ही लाना होगा। तो उसकी तैयारी में अभी लग जाओ। पुराने ज़माने में बच्चे खुद ये चीज़ समज जाते थे, लेकिन आज कल सबकुछ इन्हे बताना पड़ता है। फोन स्मार्ट हो रखे है, और पीढ़िया मुर्ख।
शिक्षा को लेकर अज्ञान
आजकल बच्चो के साथ साथ माँ बाप भी शिक्षा के बारे में अज्ञान है। पूर्व काल में माँ बाप बच्चो को पढ़ने के लिए स्कूल भेजते थे। वहा अध्यापक को बोला जाता था, की मारने की जरुरत पड़े तो मारो, मगर इसे पढ़ाओ। आज बच्चे को स्कूल में अगर मास्टर सिर्फ होमवर्क के बारे में पूछ ले तो बच्चे माता पिता को उनकी झूटी शिकायत कर देते है। बच्चो के शोषण के कायदे की आड़ में अच्छे और भी निष्काम होते जा रहे है।
पढ़े लिखे गंवार
पढ़े लिखे गँवारो की संख्या में बहुत बढ़ोतरी हो गयी है। उंगलियों पर सबकुछ मिलने की वजह से बच्चे निष्काम होते जा रहे है। थोड़ी अलग चीज करने को कह दो तो नहीं कर पाते, सिर्फ वही चीजे करना चाहते है जो आसान है।
मोबाइल में मनोरंजन की चीजे आसानी से कर लेते है लेकिन कोई ढंग का उपयोग नहीं कर पाते। गेम्स, फोटोग्राफी, वीडियो की कई सारी ऍप्स रहेंगी लेकिन कोई यूटिलिटी एप्प नहीं रहेंगी। कही गए तो एक अर्जी नहीं लिख पाते, और मोबाइल में घंटो चटियाते रहेंगे।