Dusaro Ka Dukhda Dur Karne Wale : “दूसरो का दुखड़ा” ये कवी प्रदीप की अप्रतिम रचनाओं में से एक है. कवी इस रचना के माध्यम से मनुष्य को भलाई और परोपकार का मार्ग अपनाने को बोल रहे है. इस मार्ग में कांटे होंगे, पत्थर होंगे, लेकिन इंसान ने डरना नहीं है.
दूसरो का दुखड़ा – Dusaro Ka Dukhda
दूसरो का दुखड़ा दूर करने वाले,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम,
किये जा तू जग मे भलाई का काम,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम,
पोछ ले तू अपने आँसु तमाम,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम।।
सच का है पथ ले धर्म का मार्ग,
संभल संभल चलना प्राणी,
पग पग पर है यहाँ रे कसौटी,
कदम कदम पर कुर्बानी,
मगर तू डावा डोल ना होना,
तेरी सब पीर हरेंगे राम,
दूसरो का दुखड़ा दुर करने वाले,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम,
किये जा तू जग मे भलाई का काम,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम।।
क्या तुने पाया क्या तुने खोया,
क्या तेरा लाभ है क्या हानि,
इस का हिसाब करेगा वो इश्वर,
क्यूँ तू फिकर करे रे प्राणी,
तू बस अपना काम किए जा,
तेरा भण्डार भरेंगे राम,
दूसरो का दुखड़ा दुर करने वाले,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम,
किये जा तू जग मे भलाई का काम,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम।।
दूसरो का दुखड़ा दूर करने वाले,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम,
किये जा तू जग मे भलाई का काम,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम,
पोछ ले तू अपने आँसु तमाम,
तेरे दुःख दूर करेंगे राम।।